Thursday 28 April 2016

चराग


"मंजिल नए चराग नए हौसले तो दे ,

तिनके का ही सही मगर आसरा तो दे "


"मैने यह कब कहा की मेरे हक़ मे हो जवाब,      

लेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे"

"बेशक मेरे नसीब पे रख अपना अख्तियार,


लेकिन मेरे नसीब में क्या है बता तो दे "

"बरसो मै तेरे नाम पे खाता रहा फरेब,


मेरे खुदा कहा है तू अपना पता तो दे "

"मै  खुद ही खो गया तुझे पाने की फिक्र में ,


अब ऐ गमे हयात कोई रास्ता तो दे।"

सर्द माहौल



"सर्द माहौल है शोलों को जगाये रखिये ,
यानि बीते हुए लम्हों को जगाये रखिये "

कही ऐसा न हो एहसास की वादी सो जाये ,

ज़हन  में चंद  सवालों को जगाये रखिये "

ग़ुम न हो जाये ख़ुशी सुबह के हंगामे में ,

गम में डूबी हुई रातो को जगाये रखिये 

क्या खबर कोई चिरागों को जला दे आकर ,

दिल के वीरान शिवालो को जगाये रखिये।"

वफ़ा के नाम पर



        "वफ़ा के नाम पर सर क्यों झुका लिया तुमने,
          कही किसी को रुला तो नहीं दिया तुमने "
          "बगैर आपके तड़पे  है हम भी सावन में,
          कि  तनहा ज़हरे जुदाई नहीं दिया तुमने "
         "हमें तो नाज़ था तुम पर तुम्हारी उल्फत पर,
         यूँ दिल को तोड़ कर अच्छा  नहीं किया तुमने।"

हवाओं में जुल्फों को लहरा रहे है



"हवाओं में जुल्फों को लहरा रहे है,
  हसीं आज कितने नज़र आ रहे है"

"न जाने चले आए क्यों बन संवर के 
 चमन में फूल भी शर्मा रहे है"

"ये राजे मोहब्बत कहीं खुल न जाए,
मेरा नाम सुनके वो शर्मा रहे हैं"

"सबक प्यार का हमने जिनको पढ़ाया,
मोहब्बत वो गैरों से फरमा रहे हैं"

"दिये ज़ख्म ऐसे मुझे उसने सदफ,
की आखों से आसू बहे जा रहे है।"

प्यार के सिलसिले



प्यार के सिलसिले को जिंदा कर,
रोज़ मिल मुझसे न बिछड़ा  कर,

उंगलियों से हवा के कागज़ पर,
एक ख़त मुझको भी रोज़ लिखा कर"

बिखरे ख्वाबों में कुछ बचा ही नहीं,
अब न इन तितलियों का पीछा कर"

उनसे नहीं मिलेगे


"उनसे नहीं मिलेगे अब हम मचल मचल के,
करते है बात हमसे वो रुख बदल बदल के"

"उसकी जुदाई का गम तडपा रहा है मुझको,
दरिया से बन गए है आसू निकल निकल कर"

"वो हमसे गुफ्तगू को राज़ी तो हो गए है,
अब मोम हो गया है पत्थर पिघल पिघल के"

"उनकी शरारतो पर सओ जान है निछावर,
चलते है वो दिलो को जबसे कुचल कुचल कर"।

मंज़र नहीं मिलता



"जिसे हम साफ़ पहचाने वही मंज़र नहीं मिलता,
यहाँ साये तो मिलते है कोई पैकर नहीं मिलता"

"उसे पूछे कोई ऐसी मुलाकातों से क्या हासिल,
वह मिलता है मगर दर्द आशना बनकर नहीं मिलता"

हमेशा ताज़ा दम उसके मोहल्ले तक पहोचता हूँ,
थकन उस वक़्त होती है वह जब घर पर नहीं मिलता"

"उसे मालूम है उसका बदन सोने से महगा है,
जभी तो वो कभी पहने हुए जेवर नहीं मिलता"।